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त्योहार और गरीबी: एक ऐसा सामाजिक दर्पण जो आत्मचिंतन की आवश्यकता को दर्शाता है

त्योहारों का समय आने पर हमारे मन और घर में उमंग, खुशी, और उत्साह भर जाते हैं। यह वक्त होता है अपने परिजनों के साथ समय बिताने का, खुशियाँ बाँटने का, और भव्य समारोहों का। परंतु, हमारे इस खुशियों से भरे समाज के बीच एक ऐसा तबका भी है जिसके लिए त्योहार भी एक साधारण दिन से अधिक नहीं होता। गरीब और जरूरतमंद परिवार, जो हर दिन बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हैं, उनके लिए त्योहारों का मतलब वही है - दो वक्त का भोजन जुटाना, बच्चों के लिए एक बेहतर कल की उम्मीद करना, और निरंतर संघर्ष करते रहना।

त्योहार केवल हमारे घरों तक सीमित नहीं होते; वे हमारे दिलों और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का भी प्रतीक होते हैं। हमें अपने त्योहारों की खुशियों में उस समाज के कमजोर तबके को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए जो अपने आप में प्रेरणादायक हो। इसके लिए कुछ छोटी-छोटी कोशिशें की जा सकती हैं, जैसे कि उन लोगों को भोजन, कपड़े, और जरूरी वस्तुएँ देना जिनके पास ये नहीं हैं।

त्योहारों के समय गरीबों के प्रति हमारी जिम्मेदारी:

त्योहारों का असली उद्देश्य तभी पूरा होता है जब हमारे आसपास कोई भूखा न सोए, कोई बच्चा बिना कपड़े के न हो, और किसी परिवार को असहाय महसूस न करना पड़े। हमारा समाज तभी विकसित हो सकता है जब हम सभी एक-दूसरे की खुशियों और जरूरतों को समझें और उस दिशा में कदम उठाएँ। एक संतुलित समाज का निर्माण तभी संभव है जब हम अपनी खुशियों को जरूरतमंदों के साथ बाँटें और उन्हें भी त्योहारों का आनंद लेने का अवसर दें।

त्योहारों के इस समय में हम सभी को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लेना चाहिए। हम सभी मिलकर एक समाज के रूप में यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि त्योहारों की रौनक हर घर में महसूस हो। आइए इस बार त्योहारों का मतलब केवल हमारे घरों की सजावट से नहीं बल्कि हमारे समाज की वास्तविक सुंदरता से बनाएं।

एक संदेश मेरे तरफ से:

त्योहार का वास्तविक अर्थ खुशियों का बाँटना है। इस वर्ष, आइए हम सब मिलकर कुछ अलग करें। अपने आसपास के जरूरतमंदों की मदद करें, उनके चेहरे पर मुस्कान लाएँ और उनकी जिंदगी में भी रोशनी का दीप जलाएँ। यह हमारा कर्तव्य है कि हम समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलें और उनका भी उत्थान करें।

हम सभी त्योहार मनाएँ, परंतु इस बार इसे विशेष बनाएँ—गरीबों की मदद करके, उनकी खुशियों में शामिल होकर। अगर हम समाज के हर व्यक्ति तक पहुँच सकते हैं और उनके जीवन में थोड़ी-सी भी खुशी जोड़ सकते हैं, तो यही हमारा सच्चा पर्व होगा।


आप सभी को एक ऐसी दिवाली और सभी आने वाले त्योहारों की शुभकामनाएँ जिसमें सभी के चेहरे पर मुस्कान हो।