मैं, वीरेंद्र सिंह तोमर, हाल ही में सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों पर सामने आए कुछ विवादित मामलों को देखकर चिंतित हूं। विशेषकर "इंडियाज गॉट लाटेंट" शो से जुड़ी घटनाएं, और कॉमेडियन समय रैना एवं यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया के द्वारा की गई टिप्पणियों ने पूरे देश में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech) और सार्वजनिक मर्यादा (Public Decency) के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – एक अधिकार, लेकिन सीमाओं के साथ
-हमारे देश में हर नागरिक को अपने विचार रखने की स्वतंत्रता है। यह स्वतंत्रता हमारे लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन इसकी एक सीमा भी है।
-जब कोई कलाकार, यूट्यूबर या सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अपने मंच का उपयोग करता है, तो उससे समाज को जागरूकता, मनोरंजन और सकारात्मकता मिलनी चाहिए।
-लेकिन यदि वही मंच धर्म, समाज और संस्कृति की अवमानना करने लगे, तो यह स्वतंत्रता, समाज के लिए घातक बन जाती है।
स्वतंत्रता का अर्थ अनुशासनहीनता नहीं है।
-स्वतंत्रता तभी सार्थक है, जब वह समाज के सम्मान और उसकी भावनाओं का आदर करे।
धार्मिक आस्था और संस्कृति का सम्मान
-भारत एक ऐसा देश है, जहां धर्म, आस्था और संस्कृति लोगों के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
-देवी-देवताओं, महापुरुषों, संतों, और ऐतिहासिक विरासतों का सम्मान करना हमारी सभ्यता की नींव है।
-धार्मिक प्रतीकों या मान्यताओं का मजाक उड़ाना न केवल अशोभनीय है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द्र को भी नुकसान पहुंचाता है।
-किसी भी कलाकार, कॉमेडियन या यूट्यूबर को यह समझना चाहिए कि मनोरंजन और अपमान के बीच एक बहुत बारीक रेखा होती है।
मेरा निवेदन – नई पीढ़ी से अपील
आज का युवा वर्ग सोशल मीडिया पर अत्यधिक सक्रिय है। मैं सभी युवाओं से निवेदन करता हूं:
-स्वतंत्रता का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं।
-मनोरंजन करते समय यह ध्यान रखें कि आपकी रचनाएं किसी की भावनाओं को आहत न करें।
-धर्म, आस्था और संस्कृति का सम्मान करें।
-सोशल मीडिया प्लेटफार्म का प्रयोग समाज को जागरूक करने और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करें।
मेरी प्रतिबद्धता
मैं, वीरेंद्र सिंह तोमर, यह संकल्प लेता हूं कि मैं सदैव अपनी संस्कृति, धर्म और सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए कार्य करता रहूंगा।
-युवा शक्ति को सही दिशा दिखाने का प्रयास करूंगा।
-ऐसे आयोजनों और अभियानों में भाग लूंगा, जो समाज को जोड़ने और सद्भावना बढ़ाने का कार्य करते हैं।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मर्यादा – दोनों की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है।
मनोरंजन के नाम पर हमारी संस्कृति का अपमान स्वीकार नहीं किया जा सकता।
आइए, हम सब मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जहां स्वतंत्रता के साथ सम्मान और संस्कार भी सुरक्षित रहें।
जय हिंद, जय भारत।
वीरेंद्र सिंह तोमर