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राम नवमी: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म का पर्व

राम नवमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्म के रूप में मनाया जाता है, जो अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र थे। श्रीराम को हिन्दू धर्म में धर्म, मर्यादा, और सत्य का प्रतीक माना जाता है।


श्रीराम का जीवन – एक प्रेरणा

भगवान श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और आदर्शों से भरा हुआ है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन कभी भी धर्म के मार्ग से विचलित नहीं हुए।

  • उन्होंने पितृ आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया।
  • माता सीता की रक्षा के लिए उन्होंने रावण जैसे अत्याचारी राक्षस का अंत किया।
  • उनका राज्य ‘राम राज्य’ आज भी आदर्श शासन व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है।


राम नवमी का आध्यात्मिक महत्व

राम नवमी केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि धार्मिक जागरण का भी अवसर है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं, रामायण का पाठ करते हैं, और मंदिरों में श्रीराम की झांकी सजाई जाती है।

  • अयोध्या, सीता समाहित स्थल, जनकपुर और अन्य राम से जुड़े तीर्थ स्थलों पर विशेष आयोजन होते हैं।
  • राम नवमी पर राम नाम का संकीर्तन, भजन और अखंड पाठ पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देता है।


आज के समय में श्रीराम के आदर्शों की आवश्यकता

आज जब समाज में नैतिकता और मर्यादा का ह्रास देखा जा रहा है, श्रीराम का जीवन एक प्रकाश स्तंभ की तरह हमें राह दिखाता है।

  • युवा पीढ़ी को श्रीराम के धैर्य, न्याय और कर्तव्यनिष्ठा से सीख लेनी चाहिए।
  • उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सत्य की राह पर चलने वाले व्यक्ति को अंत में सफलता अवश्य मिलती है।


मैं, वीरेंद्र सिंह तोमर, इस पावन पर्व पर देशवासियों को राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। आइए, इस दिन हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम समाज में धर्म, सत्य और मर्यादा को स्थापित करेंगे, अपने कर्मों से दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे, और श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।