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विजयादशमी: सत्य की जीत का पर्व

विजयादशमी, जिसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो हमें सत्य, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। दशहरे का त्यौहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और इसके पीछे की कथा और इतिहास हमें जीवन के महत्वपूर्ण संदेश सिखाते हैं।


दशहरा का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:
विजयादशमी की सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीराम और रावण के बीच की है। यह माना जाता है कि भगवान राम ने इस दिन लंका के राजा रावण का वध किया था और माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। इस घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि चाहे बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, अंत में जीत सत्य, धर्म और न्याय की होती है।
इसके अलावा, विजयादशमी माँ दुर्गा की भी विजय का पर्व है। नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की आराधना की जाती है, और दसवें दिन यानी विजयादशमी को माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की थी। इस कथा से भी हमें बुराई के खिलाफ़ लड़ने और अच्छाई के लिए समर्पित रहने का संदेश मिलता है।

आधुनिक समय में विजयादशमी का संदेश:
आज के दौर में विजयादशमी केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव और अच्छाई की स्थापना का प्रतीक बन गया है। यह हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न आएँ, सच्चाई, नैतिकता और ईमानदारी के साथ काम करने वाले लोग ही अंततः विजयी होते हैं।
दशहरा का यह पर्व हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने भीतर की बुराईयों, जैसे कि अहंकार, क्रोध, लालच और द्वेष को समाप्त कर, आत्मनिर्भर और सकारात्मक जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए। इस दिन को हम अपने जीवन की बुरी आदतों को त्यागने और अपने चरित्र को मजबूत करने का अवसर मान सकते हैं।


विजयादशमी पर होने वाले प्रमुख कार्यक्रम:
दशहरे के दिन जगह-जगह रावण दहन का आयोजन होता है, जिसमें रावण के विशालकाय पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया जाता है। इस अवसर पर लोग भगवान राम की जय-जयकार करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन भी होता है, जिसमें भगवान राम की कथा का मंचन किया जाता है।
इसके साथ ही, विभिन्न राज्यों में दशहरे का उत्सव अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जैसे कि कोलकाता में दुर्गा पूजा का समापन विजयादशमी के दिन होता है, तो कर्नाटक के मैसूर में भव्य जुलूस निकलता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

निष्कर्ष:
विजयादशमी का पर्व हमें यह याद दिलाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष होता है। लेकिन जो लोग अपने जीवन में सच्चाई और न्याय का साथ देते हैं, वे ही अंततः विजयी होते हैं। यह पर्व हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में हमेशा सकारात्मकता बनाए रखें और दूसरों की भलाई के लिए काम करें।
इस विजयदशमी पर, आइए हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने भीतर की बुराईयों को समाप्त करेंगे और एक आदर्श जीवन जीने का प्रयास करेंगे।

विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!