काजीरंगा में प्रस्तावित फाइव स्टार होटल निर्माण को लेकर आदिवासी समुदाय के गहरे विरोध के बीच, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह तोमर ने खुलकर अपना समर्थन व्यक्त किया है। उनका मानना है कि यह परियोजना न केवल काजीरंगा की समृद्ध जैव विविधता के लिए खतरा है, बल्कि वहां के स्थानीय आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक और भौतिक अस्तित्व पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
तोमर ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि आदिवासी समुदाय की आवाज़ को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस भूमि पर उनके पूर्वजों ने अपनी सभ्यता और संस्कृति का निर्माण किया, उसे किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है। काजीरंगा की भूमि आदिवासियों की है, और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
यूनिस्को और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की चेतावनियों को ध्यान में रखते हुए, तोमर ने असम सरकार से इस परियोजना पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि काजीरंगा का संरक्षण और वहां के वन्यजीवों का संरक्षण न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। आदिवासी समुदाय के साथ, तोमर ने यह भी कहा कि वे इस संघर्ष में अकेले नहीं हैं, और उनकी पार्टी उनके समर्थन में खड़ी है।
वीरेन्द्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि विकास के नाम पर काजीरंगा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अतिक्रमण करना उचित नहीं है। उन्होंने सरकार से अपील की कि आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण की रक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
यह स्पष्ट है कि वीरेन्द्र सिंह तोमर आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए गंभीरता से लड़ रहे हैं और काजीरंगा की सुरक्षा को लेकर वे पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उनकी आवाज़, इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।